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    आप की पसंद 170527
    2017-06-08 15:24:09 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है पोस्ट सुपेला, गली नंबर चौदह, शिवाजी नगर, कोहका, भिलाई, छत्तीसगढ़ से आनंद मोहन बैन और इनके ढेर सारे साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है विधाता (1982) फिल्म का गाना जिसे गाया है सुरेश वाडकर और अनवर ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 1. हाथों की चंद लकीरों का ....

    पंकज - ट्रक के पुराने टायर से शुरू किया ट्रेंडी जूते बनाने का बिजनस

    मुंबई

    किसी गैराज या ऑटो पार्ट्स की दुकानों पर किसी कोने में पड़े टायरों को देखकर भले ही आपको वे सब सिर्फ 'कबाड़' लगे, लेकिन कोशिश की जाए तो यह आपके लिए फैशन स्टेटमेंट भी साबित हो सकते हैं। कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है मुंबई के एक एमबीए कपल ने। जे रेज और जोत्सना ने पादुक डॉट कॉम के नाम से ऑनलाइन फुटवेअर शोरूम की शुरुआत की, जो खराब हो चुके टायर से जूते बनाते हैं।

    जे रेज एमबीए करने के कुछ साल बाद तक फॉरन एजुकेशन की इच्छा रखने वालों के लिए कंसल्टेंसी चलाते थे। शादी के बाद पत्नी जोत्सना के साथ मुंबई के चेंबुर इलाके से ऑनलाइन फुटवेअर शोरूम की शुरुआत की। इस ऑनलाइन प्लैटफॉर्म का नाम रखा गया पादुक्स (paaduks.com)। कमाल की बात यह है कि इस प्लैटफॉर्म पर सिर्फ बेकार हो चुके टायर से बने फुटवेअर ही मिलते हैं। कई अलग रंग और डिजाइन में बने इन जूते-चप्पलों की काफी डिमांड बढ़ गई है। ऑनलाइन प्लैटफॉर्म के साथ कुछ स्टोर्स पर भी ये फुटवेअर आपको मिल सकते हैं। जे ने बताया, 'हमने 2013 में पादुक की शुरुआत की थी। मैं इंटरनेट पर ब्राउज़िंग कर रहा था, तभी मैंने एक शख्स के बारे में पढ़ा जो इंडोनेशिया से बेकार हो चुके टायर इम्पोर्ट करता है।

    अंजली – इसे कहते हैं कि जब हमारे पास दिमाग और आईडिया हो तो हमें किसी और वस्तु की ज़रूरत ही नहीं पड़ती, साथ ही रास्ते में आने वाली रुकावटें भी चुनौतियां कम और रोमांच ज्यादा लगने लगता है, इसी का जीता जागता उदाहरण है पादुक्स डॉट कॉम, वैसे कोई भी नया बिज़नेस तभी शुरु होता है जब उसके लिये कोई नया आईडिया दिमाग में आए .... मैं भी अक्सर सोचती हूं कि अगर ईको फ्रेंडली मेकअप के सामान का बिज़नेस करूं तो इसका व्यापार पूरी दुनिया में किया जा सकता है। खैर ये तो हुई बिज़नेस की बात अब हम आपको सुनवाते हैं कार्यक्रम का अगला गीत जिसके लिये हमें पत्र लिख भेजा है गांव महेशपुर खेम, ज़िला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से तौफीक अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश सिद्दीकी और इनके साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है प्यार का मौसम (1969) फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 2. नी सुल्ताना रे .....

    पंकज - इन टायरों को वह जूतों के सोल बनाने में इस्तेमाल करता था और फिर उन्हें यूएस में बेचता था। हमें आइडिया बेहद पसंद आया और हमने भारत में ऐसा ही कुछ करने का फैसला लिया।' जहां जूतों के सोल के लिए टायर कबाड़ी की दुकान से मिल जाते थे, वहीं जूते के अंदर और बाहर के डिजाइन के लिए कपड़ा और दूसरी चीजें हम लोकल मार्केट से खरीद लेते थे। और इन जूतों की कीमत हमने 399 रुपये से 1100 रुपये तक रखी। पादुक्स में डिजाइन हेड कैरल कॉर्नेलियो ने बताया 'हमारे जूतों के डिजाइन मेल और फीमेल दोनों के लिए हैं। यहां तक कि हमारे जूते भारतीय पारंपरिक वेश के साथ और ज्यादा अच्छे दिखते हैं, उन्हें कैजुअल ड्रेस के साथ भी पहना जा सकता है। हम बेहद जल्द नया प्रॉडक्ट लॉन्च करने वाले हैं जो पूरी तरह ट्यूब और टायरों से बना है। इन सैंडल का बेस टायर से और स्ट्रेप ट्यूब से बनी है।'

    पादुक्स की कोफाउंडर जोत्सना से जब इस स्टार्टअप की फंडिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया, 'हमारे फुटवेअर न सिर्फ इको-फ्रेंडली होते हैं बल्कि वेस्ट मैनेजमेंट का भी अच्छा उदारण हैं। इस वेंचर को शुरू करने में हमने पूरी तरह अपना पैसा लगाया है। हमने बहुत सक्रिय तौर पर फंडिंग के लिए किसी से बात नहीं की, हालांकि आइडिया के लेवल पर हमने कई जगह बात की।'

    अंजली – श्रोता मित्रों हमारे कार्यक्रम में आपके बढ़ते खतों का मतलब ये है कि आपको हमारा कार्यक्रम बेहद पसंद आ रहा है। आपके पत्रों का हमें बेसब्री से इंतज़ार रहता है और आपके पत्र हमारी हौसलाअफ़जाही करते हैं, हमें लगता है कि हमारी मेहनत रंग ला रही है, अगर आपके कुछ सुझाव हमारे कार्यक्रम के बारे में हैं तो उन्हें हमतक ज़रूर पहुंचाईये, इससे हम अपने कार्यक्रम को आपके और नज़दीक लाने की कोशिश करेंगे। इसी के साथ मैं उठा रही हूं अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है पूज्य महात्मा गांधी रेडियो स्टेशन श्रोता संघ, पिपरही, ज़िला शिवहर, बिहार से अध्यक्ष मुकुंद तिवारी और इनके सभी परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है मधुमती (1958) फिल्म का गाना जिसे गाया है मुकेश और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं शैलेन्द्र और संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं -------

    सांग नंबर 3. दिल तड़प तड़प के कह रहा है.....

    पंकज - जे ने बताया कि उनका उद्देश्य रिटेल स्टोर से ज्यादा ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर था। उन्होंने बताया, 'हमने अपने प्रॉडक्ट को प्रमोट करने के लिए सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा सहारा लिया। यहां तक कि फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बहुत एक्टिव कैंपेन चलाया। हालांकि दिल्ली, बेंगलुरु और पुणे में कुछ रिटेल स्टोर्स पर हमारे प्रॉडक्ट मिल जाएंगे। हमारे प्रॉडक्ट बेंगलुरु में काफी फेमस हैं। हमें मिले कुल ऑनलाइन ऑर्डर का 25 प्रतिशत हिस्सा बेंगलुरु से ही मिलता है।'

    पंकज - 84 साल के बुजुर्ग ने सेना को डोनेट किए 1 करोड़ रुपये

    भावनगर

    सिलेब्रिटीज और बड़े कारोबारियों द्वारा लाखों-करो़ड़ों की रकम दान करने की कहानियां आम हैं, आपने खूब सुनी-देखी होंगी। लेकिन कोई साधारण बुजुर्ग अपनी जिंदगीभर की बचत दान कर दे, ऐसा आपने शायद ही पहले कभी सुना हो। 84 साल के एक बुजुर्ग रिटायर्ड बैंक कर्मी ने जीवनभर की बचत पूंजी में से एक करोड़ रुपये नैशनल डिफेंस फंड को डोनेट कर दिए।

    अंजली – मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं चंदा चौक अंधराठाढ़ी, ज़िला मधुबनी बिहार से भाई शोभीकांत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन और इनके परिजन, इनके साथ ही मेन रोड मधेपुर, ज़िला मधुबनी बिहार से हमें पत्र लिखा है प्रमोद कुमार सुमन, रेनू सुमन और इनके मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है लहु के दो रंग (1979) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं फ़ारूख़ कैसर संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 4. मुस्कुराता हुआ मेरा यार .... .

    पंकज - 84 वर्षीय जनार्दन भट्ट गुजरात के भावनगर के रहने वाले हैं। एसबीआई से क्लर्क के पद से रिटायर हुए जनार्दन ने सीमा पर आर्मी जवानों के शहीद होने की खबरें देखीं और देखा कि कैसे देश के सामने पाकिस्तान द्वारा प्रमोट किया जा रहा आतंक दैत्य बनकर खड़ा है। यह सब देखने-समझने के बाद उन्होंने भारतीय सेना के लिए छोटा-सा कदम उठाने के बारे में सोचा और नैशनल डिफेंस फंड को एक करोड़ रुपये डोनेट कर दिए।जनार्दन ने अपनी कमाई से काफी बचत की थी और उन्होंने कई फंडों में निवेश भी किया था, जिससे उन्हें अच्छे रिटर्न मिले। बुजुर्ग जनार्दन ने अपनी पूरी जिंदगी लोगों की मदद करने की। एसबीआई में नौकरी के दौरान बतौर यूनियन लीडर भी जनार्दन ने अपने सहकर्मियों की समस्याएं सुलझाईं।यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इतनी बड़ी रकम कहीं डोनेट की हो। इससे पहले भट्ट और उनके सहकर्मी ने किसी की मदद के लिए 54 लाख रुपये डोनेट किए थे।

    अंजली – श्रोता मित्रों हमें अगला खत लिख भेजा है दरवेश बाग, पत्तन, बारामूला, जम्मू कश्मीर से तौसीफ शोकी, छोटी, गुड्डी, सजा बानो और मोहम्मद अकबर ने आप सभी ने सुनना चाहा है याराना (1981) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं अंजान और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं -------

    सांग नंबर 5. तेरे जैसा यार कहां ......

    पंकज - टैक्सी ड्राइवर ने 8 लाख रुपये का सामान लौटा पेश की ईमानदारी की मिसाल

    नई दिल्ली

    वह दिल्ली में काली-पीली प्रीपेड टैक्सी चलाकर गुजारा करते हैं। वह चाहते तो टैक्सी में छूटे 8 लाख के कीमती सामान वाले बैग को हड़प लेते, लेकिन उन्होंने इसे इसके मालिक तक पहुंचाने के लिए पुलिस को सौंप दिया। यह मिसाल कायम की देवेंद्र कापड़ी ने, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने इनाम देने का ऐलान किया है।

    श्रीनगर (कश्मीर) से फ्लाइट लेकर आए मुबीन अहमद वानी ने आईजीआई एयरपोर्ट से देवेंद्र कापड़ी की प्रीपेड टैक्सी हायर की। उन्हें पहाड़गंज में किसी होटल में जाना था। देवेंद्र उन्हें होटल छोड़कर जब वापस आ रहे थे तो उनकी नजर अचानक बैक सीट के बीचों बीच गई। वहां बैग रखा था। वह वानी को तलाशने फिर से पहाड़गंज लौटे लेकिन वह नहीं मिले। मुबीन उस दौरान यूएस एंबैसी काम से गए हुए थे। यह देवेंद्र को मालूम नहीं था। वापस आकर उन्होंने यह सामान डोमेस्टिक एयरपोर्ट के थाने में पुलिस के पास जमा करा दिया। पूरा वाकया भी पुलिस को बताया। सामान में शादी का कार्ड भी था।

    पुलिस ने बैग से मिले शादी कार्ड पर लिखे एड्रेस व कॉन्टैक्ट नंबर पर फोन किया। वह नंबर वानी के भाई था। उनकी सूचना पर वानी अपना सामान लेने थाने पहुंचे। उन्होंने थाने पहुंचकर देवेंद्र की काफी तारीफ की, वहीं डीसीपी संजय भाटिया ने भी कहा कि देवेंद्र ने ईमानदारी की मिसाल कायम की है। डीसीपी ने उत्तम नगर निवासी टैक्सी ड्राइवर देवेंद्र कापड़ी को प्रोत्साहन के तौर पर 5000 का इनाम देने का प्रस्ताव पुलिस अफसरों को भेजा, जिसे मंजूर भी कर लिया गया।

    अंजली – हमारे कार्यक्रम में अगला पत्र लिख भेजा है हरिपुरा झज्जर, हरियाणा से प्रदीप वधवा, आशा वधवा, गीतेश वधवा, मोक्ष वधवा और निखिल वधवा ने आप सभी ने सुनना चाहा है मिस्टर नटवरलाल (1979) फिल्म का गाना जिसे गाया है अमिताभ बच्चन ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राजेश रौशन ने गीत के बोल हैं -------

    सांग नंबर 6. मेरे पास आओ .......

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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