ऊर्जा किफायत और कम प्रदूषण निकासी के नेतृत्व में अमेरिका को क्या हक है

2021-04-21 16:40:57

जापानी उप प्रधानमंत्री ने हाल में कहा कि परमाणु अपशिष्ट जल पीने के बाद भी कोई समस्या नहीं होगी, तो वास्तव में यह सही है? जर्मनी समुद्री विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने कहा कि फुकुशिमा के तट पर दुनिया का सबसे मजबूत महासागरीय प्रवाह है। अपशिष्ट जल की निकासी से 57 दिनों में विकिरण रिसाव का फैलाव प्रशांत महासागर के अधिकांश क्षेत्रों तक जा पहुंचेगा और 10 साल बाद दुनिया भर के समुद्री क्षेत्र प्रभावित हो जाएंगे।

इसकी चर्चा में जापान स्थित अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ हरित शांति संगठन के वरिष्ठ परमाणु ऊर्जा विशेषज्ञ शॉन बर्नी ने कहा कि टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी की एएलपीए तकनीक रेडियोधर्मी ट्रिटियम या कार्बन-14 को नहीं हटा सकती है। वहीं अन्य रेडियो आइसोटोप को भी पूरी तरह नहीं हटाया जा सकता है। ये पदार्थ लंबे समय से समुद्री खाद्य श्रृंखला में इकट्ठा होंगे और संभवतः खाद्य श्रृंखला के जरिए मानव जाति पर प्रभाव डालेंगे।

जापान के इस फैसले का चीन और दक्षिण कोरिया ने कड़ी विरोध किया। इसके अलावा, रूस और यूरोपीय संघ, यहां तक कि जापान के लोगों ने भी परमाणु अपशिष्ट जल को समुद्र में डालने का विरोध किया। जापानी मीडिया के अनुसार जापान दो साल बाद लगातार 30 साल तक अपशिष्ट जल को समुद्र में डालेगा, जिसकी मात्रा 10 लाख टन से अधिक होगी। इतनी ज्यादा निकासी, इतने लंबे समय, इतना बड़ा पैमाना और इतना ऊंचा खतरा पहले से कभी नहीं आया। इससे प्रकृति पर क्या असर पड़ेगा, इसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता।

जर्मन समुद्री विज्ञान संस्थान का अनुमान है कि अपशिष्ट जल की निकासी से अमेरिका और कनाडा 3 साल के बाद प्रभावित होंगे। लेकिन यह बहुत बेहूदा बात है कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने जापान का आभार जताया। उन्होंने कहा कि फैसला करने में जापान सरकार ने पारदर्शी और खुला प्रयास किया।

क्या अमेरिका सच में परमाणु प्रदूषण से नहीं डरता, ऐसा नहीं है। अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (एफूडीए) के ज्ञापन के अनुसार विकिरण और परमाणु प्रदूषण से संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या की वजह से एफूडीए जापानी वस्तुओं पर निगरानी मजबूत करेगा। जापान में उत्पादित दूध, सीफूड, मांस, सब्जी और फल आदि उत्पादों को अमेरिका में पहुंचाने से रोका जाता है। अमेरिका एक तरफ जापान का समर्थन करता है, वहीं दूसरी तरफ जापानी उत्पादों पर पाबंदी लगाता है। यह दोहरे मापदंड की मिसाल ही है।

बताया जाता है कि अमेरिका 22 और 23 अप्रैल को वैश्विक जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा। इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन और रूस समेत 40 देशों के नेताओं को निमंत्रण भेजा है। शिखर सम्मेलन के आयोजन से पहले इतना गंभीर मामला आया, तब अमेरिका और जापान कैसे ऊर्जा किफायत और कम प्रदूषण निकासी को लेकर दूसरे देशों से मांग करेंगे? क्योंकि परमाणु अपशिष्ट जल को समुद्र में डालना सबसे भयानक प्रदूषण निकासी है।

(ललिता)

रेडियो प्रोग्राम