क्या झूठा वादा करने वाला अमेरिका महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व करना चाहता है?

2021-09-24 16:59:34

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अमेरिका के स्थानीय समय के अनुसार, 22 सितंबर को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ”कोरोना महामारी वैश्विक वीडियो शिखर सम्मेलन” की मेजबानी की। इस दौरान उन्होंने कई बार उल्लेख किया कि अमेरिका ने महामारी के खिलाफ़ वैश्विक लड़ाई में योगदान दिया और आने वाले दिनों की वैक्सीन सहायता योजना सार्वजनिक की। फिलहाल, अमेरिका द्वारा मौजूदा सम्मेलन आयोजित करने का समय और उसकी महा योजना के प्रति लोकमत ने संदेह व्यक्त किया है। 

अमेरिका ने इस शिखर सम्मेलन को “महामारी के खिलाफ़ सबसे बड़े पैमाने वाला शिखर सम्मेलन”  कहा। लेकिन कुछ प्रमुख देशों के नेताओं ने इसमें भाग नहीं लिया। जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में महामारी के खिलाफ़ वैश्विक लड़ाई में अमेरिका की क्षमता और उद्देश्य पर गहरा संदेह मौजूद है।

महामारी के खिलाफ़ लड़ाई में दुनिया भर में सबसे बड़े विफल देश होने के रूप में अमेरिका में अब तक 4 करोड़ 25 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए, 6 लाख 80 हज़ार से ज्यादा लोग मर चुके हैं।

निःसंदेह, महामारी के खिलाफ़ लड़ाई में विफल देश वैश्विक महामारी-रोधी कार्य में नेता बनना हास्यप्रद बात है। और तो और, महामारी का प्रकोप होने के बाद से लेकर अब तक अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने विश्व में योगदान के बजाय बहुत से राजनीतिक वायरस का निर्यात किया। कुछ समय पहले, व्हाइट हाउस के आदेशानुसार, अमेरिका खुफिया विभाग ने चीन के खिलाफ़ तथाकथित कोरोना महामारी की ट्रेसबिलिटी रिपोर्ट बनाई, उसने राजनीतिक हेरफेर करते हुए वैश्विक महामारी-रोधी सहयोग को गंभीर रूप से नष्ट किया। अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने निंदा की है।

ऐसी पृष्ठभूमि में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अवसर पर उपरोक्त तथाकथित महामारी-रोधी शिखर सम्मेलन आयोजित किया। उसका राजनीतिक इरादा बहुत स्पष्ट है। विश्लेषण के मुताबिक, अमेरिका की इस कार्रवाई के माध्यम से महामारी के खिलाफ़ लड़ाई में खुद की खराब छवि में सुधार करना चाहता है, अफ़गानिस्तान में हाल ही में जल्दबाजी में सैनिकों की वापसी की शर्मिंदगी को छिपाना चाहता है, और “वैक्सीन कूटनीति” के जरिए अपनी स्पर्धा शक्ति को बढ़ाना चाहता है।

बाइडेन ने अपने भाषण में कहा कि अमेरिका ने किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक टीकों का निर्यात किया, और दावा किया कि वह एक साल बाद दुनिया की कम से कम 70 प्रतिशत की आबादी के टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए टीके की अन्य 50 करोड़ खुराकें दान करेगा। इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने संदेह व्यक्त किया और माना कि अमेरिका ने एक झूठा वादा किया है। कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से गठित “पीपुल्स वैक्सीन एलायंस” द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि बाइडेन द्वारा घोषित इस महा योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जाएगा। क्योंकि वर्तमान में अमीर देशों का दान टूथपेस्ट को निचोड़ने जैसा है। इस संगठन ने दुनिया के नेताओं से झूठा वादा छोड़कर साहसी कार्रवाई अपनाते हुए वैक्सीन उत्पादन को बढ़ावा देने की अपील की।

इस बार अमेरिका ने यह भी कहा कि दुनिया को महामारी को हराने की जरूरत को समझने और एकजुट होकर महामारी को हराने में सहयोग करने की आवश्यकता है। लोग यह पूछना चाहते हैं कि क्या अमेरिका ने अपनी कथनी के अनुरूप काम किया ? क्या झूठा वादा करने वाला अमेरिका महामारी-रोधी वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व करना चाहता है? अमेरिकी राजनीतिज्ञों को महामारी विरोधी मुद्दे के राजनीतिकरण वाली गलत कार्रवाई को तुरंत ही बंद करना चाहिए, अपने देश में महामारी की रोकथाम और नियंत्रण को अच्छी तरह करना चाहिए और वैश्विक महामारी-रोधी कार्य में बाधा नहीं डालनी चाहिए।

(श्याओ थांग)

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